Dr Aditi dev

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लेखनी प्रतियोगिता -01-Jun-2022


“जन्नत-ए-आशियाँ”

चलो आशियाँ बनाए ऐसा कंही,
जंहा हम हो ओर कोई ग़म ना हो ।

तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
सारी जन्नतें मेरे साथ हो ।

सुनहरी धूप सी रोशनी हो ,
चमकते चेहरे का नूर सा हो ।

हो चारों तरफ़ बर्फ़ीली वादियाँ,
तेरे होंठो की मुस्कान सी हों ।

बिछीं हो घने कोहरे की चादर जंहा,
ओर तेरी बाँहों का हार सा हो ।

बिखरी हो चाँदनी की छँटा जंहा,
दोनो के बिछड़ने की आस ना हो ।

रिमझिम बारिश भी हो जब कभी,
लगे लफ़्ज़ों से प्यार बरसता हो । 

ओस की बूँदे पड़े जब पत्तों पर ,
चेहरे पर मोती की चमक सी हो ।
 
घर में जब आए हम अपने 
चारों तरफ़ सिर्फ़ ख़ुशियाँ ही हो ।

ख़ूबसूरत जन्नत सी प्रकृति हो ,
हमारा ऐसा प्यारा आशियाना हो ।

रहे दोनों ऐसे जंहा में,
जंहा कोई पाबंदियाँ ना हो ।

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9 Comments

Shrishti pandey

02-Jun-2022 05:25 PM

Nice

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Punam verma

02-Jun-2022 09:17 AM

Nice

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Abhinav ji

02-Jun-2022 08:32 AM

Nice👍

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